जैव विविधता व प्रदूषण
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)Publication Date: 2015-09-29
Authors : अन ुपमा श्रीवास्तव;
Page : 1-3
Keywords : जैव विविधता व प्रदूषण;
Abstract
एक समय था जब कि पृथ्वी पर कृषि व्यवस्था तथा उस पर उत्पादित हा ेन े वाले खाद्य पदार्था े की मात्रा अथाह थी, लेकिन आज उस स्थिति में परिवर्त तन आ गया ह ै आ ैर अब वह क ेवल पर्याप्त की श्र ेणी में आ गयी है । संतोष यही ह ै कि यह सामग्री पुनः प्राप्त की जा सकती है अतः यदि बहुत बुद्धिमता से उत्पादन का प्रब ंध हो तो प ूर े विष्व में रहन े वाले प्राणी वर्ग को उसके खान े-पीन े और अन्य पदार्था े की प ूर्ति की जा सकेगी पर इसके लिये प्राक ृतिक विविधता (छंजनतमष्े क्पअमतेपजल) का उपयोग करना होगा जिस े आज हम जैविक विविधता के नाम से नामित करत े हैं ।
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Last modified: 2017-09-25 18:02:21