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धरती क े ताप की दवा

Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 1-3

Keywords : धरती क े ताप की दवा;

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Abstract

आज धरती माॅ ं का द ुःख सर्वविदित है। उसे संभाले रखन े वाले तत्व-जल, वनस्पति, आकाश आ ैर वाय ु, विकास की चिमनियों स े निकलन े वाले धुए ं के कारण हांप रहे हैं । भू-मण्डलीकरण की लालची जीभ न े इन सभी तत्वों को बाजार में सुन्दर पैकिंग में भर व्यापार की वस्त ु क े रूप में प ेश कर दिया है । इन चारों के कम होन े से पाॅ ंचव े अंग यानी अग्नि न े आज प ूरी धरती को भीतर-बाहर से घेर लिया है । जिसके कारण धरती का भीतर-बाहर सब तपन े लगा ह ै । इसीलिए ‘पृथ्वी दिवसों' की आड ़ में संयुक्त राष्ट्र टाइप धरती के द ूर क े रिश्त ेदार आईसीयू में डाॅयलिसिस पर लेटी धरती को शीशों क े कमरों से झांकत े रहत े हैं । धरती क े बुखार से द ूर के रिश्तेदारों की तरह चिंता में द ुबल े हो रहे थर्मामीटर लेकर ब ैठ े संय ुक्त राष्ट ª न े हाल ही में ‘सहस्त्राब्दि का पर्यावरण आकलन' छापा है ।

Last modified: 2017-09-25 19:25:32