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तुर्रा-कलंगी: मध्यप्रदेष के निमाड़ क्षेत्र का परम्परागत संचार

Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.7, No. 3)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 158-162

Keywords : निमाड़; तुर्रा और कलंगी; लोकमंच;

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Abstract

मध्यप्रदेष के निमाड़ क्षेत्र में हिन्दी प्रांतों की तरह मंच अथवा रंगमंच की गतिविधियां वर्तमान में कम ही है। जहां भारत के अन्य प्रांतों में अपनी-अपनी भाषा में रंगमंच की पहचान एवं जागरूकता विद्यमान है वहां हिन्दी प्रांतों में न पहचान है न जागरूकता। ऐसा प्रतीत होता है कि हिन्दी प्रदेषों में लगातार सांस्कृतिक हृास हो रहा है। इसके लिये भयानक आर्थिक गिरावट, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के साथ-साथ विषम सामाजिक स्थितियां जिम्मेदार है। इसके अलावा र ेडियो और ट ेलीविजन के साथ इन्टरनेट का अत्यधिक प्रचार भी जिम्मेदार है।

Last modified: 2019-04-04 13:59:31