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हिन्दी सिनेमा पर समग्र दृष्टि

Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.7, No. 4)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 141-146

Keywords : हिन्दी सिनेमा; चित्रकला; नाट्य कला; काव्य कला;

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Abstract

आज के युग में सिनेमा एक ऐसी विधा है, जिसकी ओर दो साल का एक बच्चा और अस्सी साल का एक बूढ़ा भी आकर्षित है। एक महानगर से लेकर छोटे से कस्बे का व्यक्ति भी इसके सम्मोहन से अछूता नहीं हैं। सिनेमा अपने आप में एक सम्पूर्ण विधा है, क्योंकि इसमें चित्रकला, नाट्य कला, काव्य कला, कथा साहित्य आदि सभी कलाओं का समावेश रहता हैं। आज हम जो सिनेमा देखते है वह हमारे सामने एक विकसित और परिष्कृत रूप है, इसके पीछे एक सदी का परिश्रम है। वर्तमान समय में सिनेमा ने उद्योग रूप ले लिया है परंतु इसने हमें न केवल मनोरंजन ही दिया है, बल्कि शिक्षा भी दी है, इसलिए यह जनमानस की भावनाओं को व्यक्त करने का सशक्त माध्यम बन गया है। इसलिये यह कहना गलत न होगा कि “फिल्में मनोरंजन का उत्तम माध्यम तो हैं ही, साथ ही वह ज्ञानवर्धन के लिए भी अत्यंत बेहतरीन माध्यम हैं।

Last modified: 2019-05-02 20:17:13