हिन्दी सिनेमा पर समग्र दृष्टि
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.7, No. 4)Publication Date: 2019-04-30
Authors : श्रीमती छाया जैन;
Page : 141-146
Keywords : हिन्दी सिनेमा; चित्रकला; नाट्य कला; काव्य कला;
Abstract
आज के युग में सिनेमा एक ऐसी विधा है, जिसकी ओर दो साल का एक बच्चा और अस्सी साल का एक बूढ़ा भी आकर्षित है। एक महानगर से लेकर छोटे से कस्बे का व्यक्ति भी इसके सम्मोहन से अछूता नहीं हैं। सिनेमा अपने आप में एक सम्पूर्ण विधा है, क्योंकि इसमें चित्रकला, नाट्य कला, काव्य कला, कथा साहित्य आदि सभी कलाओं का समावेश रहता हैं। आज हम जो सिनेमा देखते है वह हमारे सामने एक विकसित और परिष्कृत रूप है, इसके पीछे एक सदी का परिश्रम है। वर्तमान समय में सिनेमा ने उद्योग रूप ले लिया है परंतु इसने हमें न केवल मनोरंजन ही दिया है, बल्कि शिक्षा भी दी है, इसलिए यह जनमानस की भावनाओं को व्यक्त करने का सशक्त माध्यम बन गया है। इसलिये यह कहना गलत न होगा कि “फिल्में मनोरंजन का उत्तम माध्यम तो हैं ही, साथ ही वह ज्ञानवर्धन के लिए भी अत्यंत बेहतरीन माध्यम हैं।
Other Latest Articles
- THE EFFECT OF WORK ENVIRONMENT ON EMPLOYEE PERFORMANCE THROUGH WORK DISCIPLINE
- INVESTIGATION OF THE EFFECTIVENESS OF USING SELFDETERMINATION THEORY IN TEACHING SCIENCE FOR GRADE EIGHT STUDENTS: A CASE STUDY IN SRI LANKA
- AN ECONOMIC ANALYSIS OF SOLID WASTE MANAGEMENT OF IBADAN METROPOLIS, OYO STATE: EVIDENCES FROM VALUE BELIEF NORM (VBN) AND WILLINGNESS-TO-PAY THEORY
- RESEARCHES ON APPLICATIONS OF NOMINALIZATION IN DIFFERENT DISCOURSES
- MASK: A CREATIVE REPRESENTATION OF FUNCTIONAL ART
Last modified: 2019-05-02 20:17:13