लोकतंत्र की मज़बूती के हित में सत्रहवीं लोकसभा चुनाव -2019 के चुनावी घोषणा-पत्रों में भारतीय भाषाए
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.7, No. 4)Publication Date: 2019-04-30
Authors : डॉ. श्रीमती अनुराधा शर्मा;
Page : 255-260
Keywords : डॉ. श्रीमती अनुराधा शर्मा;
Abstract
लोकतंत्र लोक की भावनाओं का आदर करने वाली व्यवस्था है। लेकिन भारत के संदर्भ में कुछ अनुभव इसके विपरीत है। यहां लोकतंत्र के नाम पर व्यवस्था को ‘लोक' की भाषा से दूर करने वाले ‘तंत्र' लगातार हावी रहे हैं। इस दृष्टि में उसे सच्चा और अच्छा लोकतंत्र कहते हुए शब्द ठिठकते है। प्रशासन की लोक भाषा से दूरी अनेक समस्याओं का मूल है तो न्याय की लोक की भाषा से द ूरी बनाये रखने की जिद्द न्याय पर प्रश्नचिन्ह लगाती है। इसी का दुष्प्रभाव है कि शिक्षा भी उस भाषा से आलिंगन कर रही है जो लोक भाषा के स्वाभिमान को नकारती है। भारतीय भाषाओं को उनके स्वाभाविक अधिकारों से विमुख करना भारतीय लोकतंत्र का सर्वाधिक नकारात्मक पक्ष है।
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Last modified: 2019-05-02 20:45:05