हिंदी-काव्य में ‘साकेत’ का स्थान
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.7, No. 11)Publication Date: 2019-11-29
Authors : मिनेश्वरी;
Page : 82-84
Keywords : हिंदी-काव्य; साकेत; स्थान;
Abstract
मैथिलीषरण गुप्त भारतीय मनीषा के ऐसे साधक हैं, जो मानवता और संस्कृति के रक्षार्थ प्राणपन समर्पित रहे भारतीय प्राचीन विचारधारा व आधुनिक विचार और जीवन-पद्धति से जोड़ने में सफलता हासिल किए हैं। ‘साकेत' इनका सफल प्रयास रहा। यह एक सर्वोत्तम प्रबंध-काव्य है, जो भारतीय आस्थाओं और मान्यताओं को भावनात्मक स्वर मिला। प्राचीन विशयवस्तु को नए परिवेष में प्रस्तुत किया है। ‘साकेत' के सृजन के मूल दो प्रेरणाएँ थी- ‘‘(1) रामभक्ति, (2) भारतीय जीवन को समग्र रूप में देखने और समझने की लालसा।''1 रामभक्ति स्वभावतः रामकाव्य की ओर संकेत करती है, जीवन-दर्षन जीवन-काव्य की ओर।
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Last modified: 2019-12-03 14:10:14