काव्य, साहित्य, संगीत एवं लघु चित्रकला का अन्तः - अनुशासनिक संबंध
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.7, No. 11)Publication Date: 2019-11-30
Authors : डॉ. कुमकुम माथुर;
Page : 70-74
Keywords : कला; मनोविज्ञान; सम्बन्ध;
Abstract
काव्य, संगीत एवं चित्रकला मानव हृदय की रागात्मक वृत्ति की रचना है। संवेदनशील कलाकार मस्तिष्क के साथ साथ स्वच्छ हृदय का भी स्वामी होता है। अतः वह जाने अन्जाने, जैसे भी वातावरण के संपर्क में आता है, उसकी छाया कलाकार के मस्तिष्क पर इतने प्रभावशाली रूप में पड़ती है कि वह अपनी ह्रदय में उठती भावतरंगों को प्रकट करने हेतु विवश हो जाता है और तब कला का जन्म होता है। शब्द रचना का धनी काव्य के द्वारा, स्वर का धनी संगीत के द्वारा, तथा तूलिका का धनी चित्रकारी द्वारा स्वयं को प्रस्तुत करता है।
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Last modified: 2020-01-08 16:12:55