चितौड़गढ़ के ऐतिहासिक जौहर
Journal: ANSH - JOURNAL OF HISTORY (Vol.2, No. 2)Publication Date: 2020-12-25
Authors : Charan Shesh Karan B.;
Page : 43-59
Keywords : जौहर; राजपूत स्त्रियों. परमपराएं; चितौड़गढ़ के ऐतिहासिक जौहर;
Abstract
जौहर का महत्व-जौहर पुराने समय में भारत में राजपूत स्त्रियों द्वारा की जाने वाली क्रिया थी। जब युद्ध में हार निश्चित हो जाती थी तो पुरुष मृत्युपर्यन्त युद्ध हेतु तैयार होकर वीरगति प्राप्त करने निकल जाते थे तथा स्त्रियाँ जौहर कर लेती थीं अर्थात जौहर कुंड में आग लगाकर खुद भी उसमें कूद जाती थी। जौहर कर लेने का कारण युद्ध में हार होने पर शत्रु राजा द्वारा हरण किये जाने का भय होता था।जौहर क्रिया में राजपूत स्त्रियाँ जौहर कुंड को आग लगाकर उसमें स्वयं का बलिदान कर देती थी। जौहर क्रिया की सबसे अधिक घटनायें भारत पर मुगल आदि बाहरी आक्रमणकारियों के समय हुयी। ये मुस्लिम आक्रमणकारी हमला कर हराने के पश्चात स्त्रियों को लूट कर उनका शीलभंग करते थे। इसलिये स्त्रियाँ हार निश्चित होने पर जौहर ले लेती थी। इतिहास में जौहर के अनेक उदाहरण मिलते हैं। हिन्दी के ओजस्वी कवि श्यामनारायण पाण्डेय ने अपना प्रसिद्ध महाकाव्य जौहर चित्तौड की महारानी पद्मिनी के वीरांगना चरित्र को चित्रित करने के उद्देश्य को लेकर ही लिखा था। राजस्थान की जौहर परम्परा पर आधारित उनका यह महाकाव्य हिन्दी जगत में काफी चर्चित रहा। हालांकि वर्तमान परिस्थितियों में ये परमपराएं व्यवहारिक भले ही ना मानी जाती है परन्तु तात्कालिक समय में ये आंन बान और शान की प्रतीक थी। इसमें नेतिकता का उच्चतम स्तर था और ये उन उच्च आदर्शो को स्थापित करने वाली परमपराएं थी जिन्हें युगों युगों तक याद कर के हम खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं।
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Last modified: 2020-12-24 01:58:22