क्रांतिगुरु श्यामजी कृष्ण वर्मा
Journal: ANSH - JOURNAL OF HISTORY (Vol.2, No. 2)Publication Date: 2020-12-25
Authors : Nandlal Naran Chhanga;
Page : 100-104
Keywords : ;
Abstract
भारतमाता को अंग्रेजो की गुलामी से स्वतंत्रता दिलाने के लिए इतिहास में अनेक वीरो ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है। जिनमे से क्रांतिगुरु श्यामजी कृष्ण वर्मा का नाम सबसे ऊपर लिया जा सकता है। पंडित श्यामजी कृष्ण वर्मा कच्छ जिल्ले के एक छोटे से गाँव मांडवी में जन्मे और विदेशो में रहकर उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए प्रयासरत क्रान्तिकारियो का नेतृत्व किया। इसीलिए उनको क्रांतिगुरु के नाम से भी जाना जाता है। वह सभी क्रान्तिकारियो के लिए एक प्रेरणा थे। उन्होंने इंग्लेंड, फ़्रांस, स्वित्ज़र्लेंड जेसे देशो में मेडम कामा, सरदारसिंह राणा, वीर सावरकर, मदनलाल धींगरा जेसे कई क्रान्तिकारियो के साथ मिलकर भारतमाता की स्वतंत्रता के लिए अपना पूरा जीवन बलिदान कर दिया।
श्यामजी कृष्ण वर्मा भारत के उन अमर वीरो में हैं, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए लगा दिया। ब्रिटिश सरकार के ज़ुल्मो से त्रस्त होकर भारत से इंग्लैण्ड चले गये श्यामजी कृष्ण वर्मा ने अपना सारा जीवन भारत की आज़ादी के लिए माहौल बनाने में और नवयुवकों को प्रेरित करने में लगाया। स्वामी दयानंद सरस्वती के सान्निध्य में रहकर मुखर हुए संस्कृत व वेदशास्त्रों के मूर्धन्य विद्वान के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त श्यामजी कृष्ण वर्मा 1885 में तत्कालीन रतलाम रियासत के 1889 तक दीवान पद पर आसीन रहे।
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Last modified: 2020-12-24 02:11:49