आदिवासी साहित्य, समाज और जीवन- दर्शन
Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.4, No. 7)Publication Date: 2021-07-12
Authors : अनीता मिंज;
Page : 34-41
Keywords : आदिवासियत; प्रकृति पूजा; कुल-गोत्र; कला-संस्कृति; गोदना; सहजीविता; अदम्य जिजीविषा; जीवन-दर्शन।;
Abstract
आदिवासी जीवन -दर्शन का अर्थ है- 'आदिवासियत '। 'आदिवासियत 'को समझने के लिए हमें आदिवासी जीवन को समग्रता में देखने की जरूरत है ।आदिवासी दर्शन हर आदिवासी के जीवन में समाहित रहता है। जिसे हम आदिवासियों के सामाजिक ,सांस्कृतिक, रीति -रिवाज , धर्म , परंपरा , इतिहास , साहित्य आदि में देख सकते हैं। इनके जीवन -दर्शन को समझने के लिए पांडित्य की नहीं ,'आदिवासी -विजन '(दृष्टि )की जरूरत है। इसे बाहरी चश्मे से नहीं देखा जा सकता। इसके लिए आदिवासी जीवन में गहरे उतरने की आवश्यकता है। ऊपर से उबड़ -खाबड़ दिखने वाला आदिवासीयों का जीवन वास्तव में जीवन- दर्शन के विविध पहलुओं को समेटे हुए है। आदिवासी जीवन -दर्शन को देखने की नहीं समझने, सीखने और आत्मसात करने की जरूरत है। आदिवासी जीवन -दर्शन मानवता को एक ऊंचाई प्रदान करता है।
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Last modified: 2021-08-06 13:11:37