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THE EVOLUTION OF MUSIC IN THE BUDDHIST PERIOD बौद्ध काल में संगीत की विकास यात्रा

Journal: SHODHKOSH: JOURNAL OF VISUAL AND PERFORMING ARTS (Vol.2, No. 2)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 45-48

Keywords : Evolution; Music; Buddhist Period;

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Abstract

English -Indian art and culture, in any case are a joint creation of the dravadian and Aryan genius a welding together of symbolic and representative, abstract explicit language and thought. Already at Bharhut and Sanchi, 'The Aryan symbal is yielding to its environment and passing into decoration kushan art with the fact of imagery and its roots in bhakti is essentially Darvidian'. Already, however, the Indian shanti Figure at Bodhgaya shows Aryan affecting Dravidian models of expression, anticipating the essential of all latar 'Sativik Images'. Hindi - बुद्ध काल में मठों में संकीर्तन की तरह संगीत का प्रचलन प्रारम्भ हुआ। भगवान बुद्ध स्वयं एक उत्तम संगीतज्ञ थे। महात्मा बुद्ध ने ईश्वर प्राप्ति और मोक्ष अथवा निर्वाण हेतु बौद्ध धर्म के सरल तथा सुगम मार्ग का प्रवर्तन किया। उन्होंने प्राचीन मंत्रो, आध्यात्मिक गीतों तथा नृत्य आदि को नीरांजन (आरती) के लिए उपयुक्त मानते हुए संस्कृतनिष्ठ प्रार्थनाओं के स्थान पर देशी भाषाओं में रचित प्रार्थनाओं के प्रयोग पर बल दिया। उन्होने कृष्ण की प्रतिमाओं के प्रति विशेष श्रद्धा प्रकट की। बौद्ध युग की कला एवं संस्कृति तथा कलाकृतियों में आर्य तथा द्रविड़ जातियों से ग्रहण की गई आध्यात्मिक परम्पराओं तथा इष्ट देवों की पूजा-विधियों के ही पुनर्दर्शन होते हैं। इस संदर्भ में डाॅ. स्वरूप कुमार स्वामी का यह कथन दृष्टव्य है।

Last modified: 2022-01-10 17:39:14