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VARIOUS FORMS OF SRI KRISHNA IN THE TRADITIONAL PATTACHITRA STYLE OF ODISHA ओडिशा के पारम्परिक पट्टचित्र शैली में श्रीकृष्ण के विभिन्न स्वरुप

Journal: SHODHKOSH: JOURNAL OF VISUAL AND PERFORMING ARTS (Vol.2, No. 2)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 60-66

Keywords : Art; Folkart; Style; Pattachitra; Artist;

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Abstract

भारतीय चित्रकला के ऐतिहासिक सन्दर्भ में अगर हम देखें तो भारत के प्राचीन अजन्ता और बाघ के भित्तिचित्र बौद्ध धर्म से प्रभावित थे। यह उस समय के भारतीय सामाजिक जीवन की गतिविधियों को भी प्रतिबिम्बित करते हैं। उसी प्रकार मुगल और राजपूतकालीन लघुचित्रों ने अपने चित्रों के माध्यम से उस समय के समाज का सच्चा रुप प्रस्तुत किया है। उसी प्रकार पट्टचित्र शैली के चित्रों ने इन शैलियों से मिलकर अपने रुप को परिवर्तित किया। ओड़िशा में श्रीकृष्ण के स्वरुप श्रीजगन्नाथ की ही पूजा की जाती है। पुरी में जगन्नाथजी के स्वरुप की स्थापना अनन्तवर्मन के समय में होने वाले कारणों (मुस्लिम आक्रान्ताओं द्वारा भारतीय संस्कृति को नष्ट करना) व जगन्नाथ मन्दिर का प्रचार-प्रसार से ही इस प्रसिद्ध शैली का उदय हुआ। भक्ति, कला और संस्कृति का जो यहां संगम हुआ है उससे नवीन कला शैली का जन्म हुआ जो पट्टचित्र शैली के नाम से प्रसिद्ध है। यह एक अनूठी लालित्यपूर्ण और असाधारण कला है जिसने अपनी पारम्परिकता को बनायें रखने के साथ स्वंय को आधुनिकता का जामा भी पहनाया है। इसका सम्पूर्ण स्वरुप एक विशिष्ट धार्मिक एवं अनुष्ठानिक रहा है। पट्टचित्र आज जिस स्वरुप में हैं उनका निर्माण व विकास कई युगों की देन है।...

Last modified: 2022-01-10 18:00:29