नयी शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा की संभावनाओं और चुनौतियों का अध्ययन
Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.5, No. 1)Publication Date: 2022-01-29
Authors : वंदना राणा;
Page : 1-4
Keywords : नयी शिक्षा नीति; चुनौतियां; अप्रत्याशित; प्रयोग; कौशल;
Abstract
भारत के संदर्भ में कहें तो देश के उच्च शिक्षा तंत्र देश का तीसरे तंत्र के रूप में विकसित हुआ है। प्रत्येक भारतीय को उच्च शिक्षा के समान अवसर प्रदान करने के लिये प्रयोगों के दौर चल रहा है। इसके साथ ही देश के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। आजादी के बाद भारत मे उच्च शिक्षा की स्थिति को देखे तो विश्वविद्यालयों की संख्या में लगभग 40 गुना, महाविद्यालयों में 80 गुना और विद्यार्थियों की संख्या में 180 गुना अधिक वृध्दि हुयी है। विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और विद्यार्थियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने के अनुपात में शिक्षकों की संख्या में वृध्दि नहीं हो पायी है।1 बाद में यह विसगंति इस स्थिति तक पहुंच गयी कि विद्यार्थी सिर्फ फीस जमा करके डिग्री लेने लगे। आज देश में इंजीनियरिग की शिक्षा सिर्फ मोटी रकम चुकाकर पायी जा सकती है। यही से बेरोजगारी का जन्म हो रहा है। हजारों-लाखों की संख्या में युवा डिग्री लेकर बेरोजगार घूम रहे है। उनके पास न तो शिक्षा का ज्ञान है न ही वे किसी प्रकार के कौशल का विकास कर पाये है। बिना कौशल,बिना ज्ञान से युवाओं की शिक्षा के स्तर का ग्राफ निचले पायदान पर जा रहा है। युवाओं की शिक्षा का स्तर न होने से उनमें आत्मविश्वास की भी भारी कमी देखी गयी है।
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Last modified: 2022-02-05 10:54:43