व्यक्तित्व और जीवन जीने की कला
Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.5, No. 2)Publication Date: 2022-02-25
Authors : बी. एल. जैन; अमिता जैन;
Page : 44-47
Keywords : व्यक्तित्व; चलना; बैठना; खाना; सोना; सहना; बोलना; सोचना;
Abstract
व्यक्ति का व्यक्तित्व बहुत महत्वपूर्ण है। व्यक्तित्व आंतरिक और बाह्य गुण, सौंदर्य और कला से बनता है। व्यक्ति का प्रत्येक व्यवहार व्यक्तित्व है। व्यक्ति व्यक्तित्व को कलात्मक बनाने के लिए उसे कैसे निखारे? इस हेतु व्यक्तित्व और जीवन की कलाओं को सीखना आवश्यक है। कोई व्यक्ति अनेक प्रकार की कलाओं में निष्णात है। लेकिन जीवन जीने की कला में निपुण नहीं है, तो उसका जीवन सार्थक नहीं होगा। व्यक्तित्व की विभिन्न कलाओं के विषय में जानकारी होनी चाहिए और उनके अंतर्गत दक्षता भी होनी चाहिए। व्यक्तित्व और जीवन जीने की कला सीखाने के लिए उठने, बैठने, चलने, खाने, सोने आदि के तौर तरीके सीखना आवश्यक है। इस विषय की सटीक और सूक्ष्म जानकारी प्रदान करने हेतु यह शोध पत्र लिखा गया है।
Other Latest Articles
- Sustainable Finance for the Green Recovery of Emerging Countries
- Beyond the Current Discourse: Addressing the Judicial Question of Death Penalty in India
- Interference and Gender Dialogue in Ben Aïcha by Kebir-Mustapha Ammi
- Ambarawa Batik Aesthetic Study
- ‘आधी दुनिया’ पत्रिका में आदिवासी लेखन और स्त्रीवादी सरोकार
Last modified: 2022-03-07 00:22:14