भारतेंदु हरिश्चंद्र के निबंधों में हिंदी नवजागरण का स्वरूप
Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.5, No. 3)Publication Date: 2022-03-23
Authors : सौरभ सिंह;
Page : 101-105
Keywords : हिंदी नवजागरण; निबंध; भारतेंदु हरिश्चंद्र; समाज-सुधार; धर्म-सुधार; स्त्री-चिंतन।;
Abstract
उन्नीसवीं शताब्दी में भारत ने आधुनिक परिवेश को आत्मसात करते हुए आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक तीनों ही स्तरों पर परिवर्तन को महसूस किया। कारण यह हुआ कि भारतीय जनमानस ने अपनी संवेदनाओं और अभिरुचियों में नए कलेवर दिए। इसी के साथ-साथ कई ऐसी स्थितियां उत्पन्न हुईं जिनसे उनकी भारतीयों नवजागरण की बेला का सुनहरा सूर्य देखा, भारतीयों में अंग्रेजों के अत्याचार का विरोध किया, नयी चेतना के साथ समस्याओं की गहरी समझ विकसित कर उनको दूर करने का प्रयास किया। भारतीय जनमानस में इस चेतना के विकास का श्रेय भारतेंदु और उनके मंडल को जाता है।
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Last modified: 2022-04-08 02:11:35