COMPOSITIONAL TRADITION OF PALM-LEAF GEET GOVIND MANUSCRIPSTS IN ODISHA ओडिशा में ताड़पत्रीय गीतगोविन्द पोथियों की संयोजन परम्परा
Journal: SHODHKOSH: JOURNAL OF VISUAL AND PERFORMING ARTS (Vol.3, No. 1)Publication Date: 2022-01-13
Authors : Shiwani Bhadauriya Namita Tyagi;
Page : 398-408
Keywords : Book; Picture; Palm Leaf; Art; Orissa; Combination; Museum; Collection; Expression; Geetgovind; Proportion; Opposition; Harmony; Rhythm; Unity; Balance; Repetition; Effectiveness;
Abstract
वर्तमान समय में कला का इतिहास किसी भी गतिविधि या मानव द्वारा निर्मित सौंदर्यशास्त्र या संचार उद्देश्यों के लिये एक दृश्य रूप में, विचारों, भावनाओं को व्यक्त करने का एक साधन है। समय-समय पर कलाओं को विविध रूपों में वर्गीकृत किया गया। संस्कृति के निर्माण में प्रागैतिहासिक काल से वर्तमान तक, कला के योगदान में ताड़पत्र का अपना एक विशेष महत्त्व रहा है, जो ओडिशा में आज भी एक जीवन्त कला है। लेखन व चित्रण के लिए ताड़पत्र का प्रयोग अत्यधिक हुआ। ओडिशा पोथियों के सन्दर्भ में सबसे धनी राज्य माना जाता है। इसमें ओडिशा राज्य संग्रहालय की भूमिका अप्रतिम है, जो आंगतुकों को ओडिशा की ताड़पत्रीय कला से भली-भाँति परिचित करा रहा है। ताड़पत्रों पर चित्रण के साथ लेखन कार्य एक मुख्य विशेषता है। ताड़पत्र के संकुचित अन्तराल में भी कलात्मक संयोजन देखते ही बनता है जिसमें कला तत्वों में सांमजस्य स्थापित कर मधुर पोथियों का निर्माण किया गया है।
साधारणतयः चित्र संयोजन का तात्पर्य विभिन्न दृश्यात्मक तत्वों को कलात्मक ढंग से सुनियोजित करना अथवा उन्हें सुन्दर ढंग से एक व्यवस्था देना है। संयोजन विषय पर भारतीय एवं पाश्चात्य विद्वानों ने अनेक सिद्धान्तों की व्याख्या कर अनेक ग्रन्थों का निर्माण किया है अतएंव हम इन सिद्धान्तों के आधार पर गीतगोविन्द पोथी के ताड़पत्र चित्रों की संयोजनात्मक व्याख्या प्रस्तुत करेंगे। इन ताड़पत्र के चित्रों में मुख्यतः- रेखा, रंग, तान, आकृति आदि तत्वों को अभिव्यक्त एवं सृजित किया गया है। कला के तत्त्वों के समान ही संयोजन के सिद्धान्तों का अपना एक महत्त्व है, जिनकी अनुपस्थित में संयोजन सफल नहीं हो सकता। संयोजन के 8 प्रमुख सिद्धान्त- पुनरावृत्ति, सामंजस्य, विरोध, अनुपात, संतुलन, प्रभाविता, लय एवं एकता है।
Other Latest Articles
- WOMEN ARTIST IN INDIAN CONTEMPORARY CERAMICS
- A SIGNIFICANT REPRESENTATIVE OF FOLK STYLE HARIPURA POSTERS BY NANDLAL BASU लोक शैली के सार्थक प्रतिनिधि नन्दलाल बसु के हरिपुरा पोस्टर्स
- TEXT SUMMARIZATION USING PYTHON NLTK
- DYNAMICS-AKTION- PEDAGOGICAL DYNAMICS PROPOSAL, USEFUL FOR DESIGN STUDIO TEACHING AND BEYOND
- INDIAN MRIDANGAM ARTIST AND ASSOCIATED MUSCULOSKELETAL DISORDERS
Last modified: 2022-07-05 19:10:55