CHHAATRAADHYAAPAKON (B.ED. VIDYAARTHEE) KE VYAVAHAAR PAR NYAASAYOG URJA UPACHAAR KA PRABHAAV
Journal: International Education and Research Journal (Vol.8, No. 5)Publication Date: 2022-05-15
Authors : Reeta Singh;
Page : 96-98
Keywords : व्यवहार; छात्राध्यापक; न्यासयोग; तनाव प्रबंधन; सामाजिकता;
Abstract
भूमिका भारतीय दर्शन में हमेशा से गुरु देवो भव: की अवधारणा रही है। गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाय गुरु बलिहारी आपनो, गोविंद दियो बताय अर्थात गुरु और गोविंद दोनों सामने हो तो गोविंद का परिचय बताने वाले गुरु को प्रथम पूजन करना चाहिए। ईश्वर तत्व से भी ऊपर गुरु का स्थान है। ऐसे में, स्वभाविक तौर पर शिक्षक निर्माण एक बहुत बड़ी प्रक्रिया है। वर्तमान में यह महती जिम्मेदारी बी.एड पाठ्यक्रम के माध्यम से सम्पन्न हो रही है। यह पाठ्यक्रम ना सिर्फ एक शिक्षक को निर्मित कर रही है बल्कि यह राष्ट्र के भविष्य का व्यवस्थित कर रही है। "हरवार्ट के अनुसार शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य नैतिकता का विकास है।"1 महात्मा गाँधी जी के कहा कि शिक्षण कार्य को केवल व्यवसाय के रूप में स्वीकार करने वाला व्यक्ति कभी आदर्श शिक्षक नहीं हो सकता है। "रॉस ने लिखा है "व्यक्ति के विकास के लिए शिक्षा का स्वरूप आध्यात्मिक मूल्य विकसित करने का होना चाहिए।"2 फ्राबेल ने अपनी परिभाषा में आध्यात्मिक मूल्य को स्थापित किया, , "शिक्षक बालक को सद् मार्ग की प्रेरणा देते हुए आध्यात्मिक मूल्य विकसित करते हुए अंतिम लक्ष्य पर पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करता है।"
Other Latest Articles
- A PERSPECTIVE ON THE BELIEF SYSTEM OF DIYING KHO: A FESTIVAL OF THE BUGUN TRIBE OF ARUNACHAL PRADESH
- A STUDY: INFLUENCE OF E-LEARNING DURING PANDEMIC
- CONCEPT OF BALA SAMSKARA – SCIENTIFIC VIEW
- NASAL INSTILLATION OF MEDICATED OIL (NASYA) SADBINDU TAILA IN PARKINSON’S DISEASE – A CASE SERIES
- THE IMPACT OF PUBLIC SERVICE ANNOUNCEMENT - A STUDY OF THE OUTCOMES DURING COVID - 19
Last modified: 2023-01-19 17:22:05