संत रविदास की सामाजिक चेतना एवं ज्ञान की विरासत
Journal: Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies (Vol.10, No. 75)Publication Date: 2023-03-01
Authors : धीरज प्रताप मित्र;
Page : 18044-18058
Keywords : परंपरा; निर्गुण; पंथ; पाखण्ड; वर्ण; समाज; अद्वैतवाद; ब्रह्म; जीवन; दर्शन;
Abstract
प्रस्तुत लेख संत रविदास के जीवन दर्शन, ज्ञान परंपरा एवं वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता पर आधारित है। मध्यकाल में जब भारतीय समाज संक्रमण के दौर से गुजर रहा था तथा विभिन्न प्रकार के सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक आन्दोलन या तो पनप रहे थे अथवा अपनी सामाजिक स्वीकृति हेतु संघर्षरत थे उस समय निर्गुण परम्परा के संत यथा कबीर- रविदास ब्रह्म की गुणातीत व्याख्या कर ना केवल वेदादि पर प्रहार कर जातिगत आधारित कुरीतियों का विरोध कर रहे थे बल्कि सिद्ध नाथों की परम्परा में वेदादि, पाखण्ड, बाह्याडम्बर, जाति भेद के विरोध के द्वारा मनुष्यता की मुक्ति की अलग ज्योति प्रज्वलित किए।
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Last modified: 2023-03-29 16:52:52