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ग्रामीण विकास एवं महिला नेतृत्व

Journal: International Education and Research Journal (Vol.9, No. 9)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 124-126

Keywords : ग्रामीण क्षेत्र; महिला नेतृत्व; महिला शिक्षा; सामाजिक व्यवस्था।;

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Abstract

जिस देश में धरती एवं नदियों को माता की संज्ञा दी जाती है। जहां मां दुर्गा को शक्ति एवं मां सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा गया और जहां रानी लक्ष्मीबाई एवं रानी दुर्गावती ने तलवारों से दुश्मनों का सर्वनाश किया उस देश में न जाने अचानक पर्दाप्रथा एवं महिलाओं का गृह कार्य तक सीमित किये जाने लगा । भारतीय समाज में महिलाओं का विशिष्ट स्थान रहा लेकिन जहां तक उन्हे पद व अधिकार देने की बात है सदियों से उनकी उपेक्षा और सही अर्थों मेें तिरस्कार ही होता रहा है। इसके पीछे आमतौर पर धारणा यह रही है कि महिलायें कोई जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं या उनमें निर्णय लेने की क्षमता नहीं है जबकि वस्तविकता यह रही है कि महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया और सामाजिक और राजनितिक क्षेत्र में आगे बढ़ने के उनके मार्ग की बाधायें दूर करने के स्थान पर उनमें अड़चने पैदा करने का ही प्रयास किया गया। ऐसे प्रत्यक्ष प्रमाण है कि जब-जब जहां भी महिलाओं को अवसर मिला, उन्होने न केवल जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त की है बल्कि समाज के उत्थान में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। भारत में महिलाओं की आबादी लगभग आधी है। वर्तमान समय की बात की जाए तो महिलाएं पुरुषों से कमतर नहीं हैं। शहरी क्षेत्रों की महिलाएं पुरुषों से प्रतियोगिता करनें लगी है। और ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं लगभग हर क्षेत्र में पुरुषों से कदम से कदम मिला कर चल रही है। छत्तीसढ के ग्रामीण क्षेत्रों में परदा प्रथा बिलकुल ही नहीं है।

Last modified: 2023-10-26 18:17:46