ResearchBib Share Your Research, Maximize Your Social Impacts
Sign for Notice Everyday Sign up >> Login

भारत में हिन्दी पत्रकारिता का विकास

Journal: International Education and Research Journal (Vol.9, No. 10)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 36-39

Keywords : पत्रकारिता; हिन्दी; प्रचार; आन्दोलन; परिस्थितियों;

Source : Downloadexternal Find it from : Google Scholarexternal

Abstract

आजादी से पूर्व की पत्रकारिता समाजिक सरोकारों से जुड़ी थी। भारतीयों के सामाजिक,धार्मिक,राजनीतिक,आर्थिक हितों का समर्थन किया। समाज मे व्याप्त अंधविश्वास और कुरीतियों पर प्रहार किए और पत्रों के माध्यम से जागरूकता पैदा की।हिन्दी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी हैं। हिन्दी पत्रकारिता के आदि उन्नायक जातीय चेतना, युगबोध और अपने महत्ति दायित्व के प्रति पूर्ण सचेत थे। कदाचित इसलिए विदेशी सरकार की दमन -नीति का उन्हें शिकार होना पड़ा था, उसके नृंशस व्यवहार की यातना झेलनी पडी थी।उन्नीसवी शताब्दी में हिन्दी गद्य-निर्माण की चेष्ठा और हिन्दी प्रचार आन्दोलन अत्यन्त प्रतिकूल परिस्थितियों में भयंकर कठिनाइयों का सामना करते हुए कितना तेज और पृष्ठ था इसका साक्ष्य भारतमित्र (सन 1878 ई में) सार सुधानिधि (सन 1879 ई में) और उचित वक्ता (सन 1880 ई में) जीर्ण पृष्ठों पर मुखर हैं। उन दिनों सरकारी सहयता के बिना किसी भी पत्र का चलन असंभव था।कंपनी सरकार ने मिशनरियों के पत्र को डाक आदि की सुविधा दे रखी थी, परन्तु चेष्ठा करने पर भी ‘‘उदंत मार्तड़‘‘ को यह सुविधा प्राप्त नहीं हो सकी। हिन्दी पत्रकारिता का पहला चरण 1826 ई. से 1873 ई. तक को हम हिन्दी पत्रकारिता का पहला चरण कह सकते हैं।1873 ई. में. भारतेन्दु ने ‘‘हरिश्चंद मैगजीन‘‘ की स्थापना की। एक वर्ष बाद यह पत्र ‘‘हरिश्चंद चंद्रिका‘‘ नाम से प्रसिद्ध हुआ। वैसे भारतेन्दु का ‘‘कविवचन सुधा‘‘ पत्र 1867 में ही सामने आ गया था और उसने पत्रकारिता के विकास में महत्वपूर्ण भाग लिया था।

Last modified: 2024-02-07 18:46:08