जायसी कृत पद्मावत महाकाव्य में विरहानुभूति
Journal: International Education and Research Journal (Vol.9, No. 11)Publication Date: 2023-11-15
Authors : Umashankar Ray;
Page : 127-128
Keywords : विरहव्यथा; सुकुमारता; अलौकिक; सात्विकता; मर्मस्पर्शी;
Abstract
मलिक मोहम्मद जायसी निगुर्ण भक्ति काव्यधारा के प्रेमाश्रयी शाखा के प्रतिनिधि कवि हैं। अवधि भाषा में रचित उनका महाकाव्य ‘‘पद्मावत‘‘ सूफी काव्यधारा के प्रतिनिधि ग्रन्थ है। जिसमें चित्तौंड़ के राजा रत्नसेन एवं सिंहलद्विप की राजकुमारी पद्मावती के प्रेम चित्रण के साथ-साथ नागमती का विरह वर्णन भी प्रस्तुत किया गया है। पद्मावत में संयोग वर्णन के साथ हीं वियोग वर्णन भी मिलता है। संयोग की अपेक्षा वियोग वर्णन में कवियों की मनोवृति विषेश रमी है जिसका कारण कदाचित यह है कि बिना दुःख के परमात्मा का साक्षात्कार संभव नहीं हैं। कवि ने नायक और नायिका दोनों की विरह दशा का चित्रण किया है परन्तु उसमें प्रधानता नायिकाओं के विरह की है। वस्तुतः जायसी प्रेम की पीर के कवि हैं। उनका विरह वर्णन अद्वितीय है। उनके हृदय में प्रेम की पीर और विरह वेदना का स्वर मुखर होकर काव्य में मूर्त रूप में हमारे सम्मुख विद्यमान है।
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Last modified: 2024-02-07 20:50:07