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हिन्दी साहित्य के विकास में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का योगदान

Journal: International Education and Research Journal (Vol.9, No. 12)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 165-167

Keywords : नवजागरण; हस्तलिखित; स्वाध्याय; परिष्कृत; मानकीकरण; व्याकरणसम्मत;

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Abstract

हिन्दी नवजागरण में महावीर प्रसाद द्विवेदी का योगदान उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व, सृजन क्षमता, विद्वता, गहन शोधपरक मूल्यांकन, निरीक्षण व अटूट हिन्दी सेवा में परिलक्षित होता है। उन्होंने सरस्वती जैसी पत्रिका को हिन्दी की सशक्त पत्रिका के रूप में प्रतिस्थापित कर हिन्दी प्रदेश में एक नयी समाजिक चेतना का प्रसार किया है। इसके माध्यम से उन्होंने हिन्दी नावजागरण में वैचारिक क्रंाति उत्पन्न की और नवजागरण से जुड़े लेखकों के प्रेरणास्त्रोत बने। महावीर प्रसाद द्विवेदी हिन्दी के पहले लेखक थे, जिन्होंने केवल अपनी जातीय परंपरा का गहन अध्ययन हीं नही किया था, बल्कि उसे आलोचकीय दृष्टि से भी देखा था। उन्होंने अनेक विधाओं में रचना की। कविता, कहानी, आलोचना, पुस्तक समीक्षा, अनुवाद, जीवनी, आदि विधाआंे के साथ उन्होंने अर्थशास्त्र, विज्ञान, इतिहास आदि अन्य अनुशासनों में न सिर्फ विपुल मात्रा में लिखा बल्कि अन्य लेखकों को भी इस दिशा में लेखन के लिए प्रेरित किया। द्विवेदी जी केवल कविता, कहानी, आलोचना आदि को हीं साहित्य मानने के विरूद्ध थे। वे अर्थशास्त्र, इतिहास, पुरातत्व, समाजशास्त्र आदि विषयों को भी साहित्य के हीं दायरे में रखते थे। वस्तुतः स्वाधीनता, स्वेदेशाी और स्वावलंबन को गति देने वाले ज्ञान-विज्ञान के तमाम अधारों को वे आंदोलित करना चाहते थे। इस कार्य के लिए उन्होंने सिर्फ उपदेश नहीं दिया बल्कि मनसा, वाचा, कर्मणा स्वंय लिखकर दिखाया।

Last modified: 2024-02-07 21:48:52