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राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में आजाद हिन्द फौज की भूमिका

Journal: International Education and Research Journal (Vol.10, No. 4)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 132-135

Keywords : स्वतंत्रता संग्राम; आजाद हिन्द फौज; आजादी एवं सशस्त्र विद्रोह;

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Abstract

आजाद हिन्द फौज (इण्डियन नेशनल आर्मी) का गठन कैप्टन मोहन सिंह, रासबिहारी बोस एवं निरंजन सिंह गिल ने मिलकर 1942 में किया था जिसे बाद में नेताजी ने पुनर्गठित किया और इसमें नई शक्ति का संचार किया। कई इतिहासकार और तथ्य यह साबित करते हैं कि सुभाष चन्द्र असल मायनों में हीरो थे। उनकी गतिविधियों ने ना सिर्फ अंग्रेजों के दाँत खट्टे कर दिए बल्कि उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपनी एक अलग फौज भी खड़ी की थी जिसे नाम दिया आजाद हिन्द फौज। अंग्रेजों ने उन्हें देश से तो निकालने पर विवश कर दिया लेकिन अपने देश की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने विदेश में जाकर भी ऐसी सेना तैयार की जिसने आगे जाकर अंग्रेजों को दिन में ही तारे दिखाने का हौसला दिखाया। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का मानना था कि भारत में अंग्रेजी हुकूमत को खत्म करने के लिए सशस्त्र विद्रोह ही एक मात्र रास्ता हो सकता है। अपनी विचारधारा पर वह जीवनपर्यंत चलते रहे और उन्होंने एक ऐसी फौज खड़ी की जो दुनिया में किसी भी सेना को टक्कर देने की हिम्मत रखती थी। सुभाषचन्द्र बोस ने हमेशा पूर्ण स्वतंत्रता और इसके लिए क्रांतिकारी रास्ते ही सुझाए, उन्होंने ही ‘‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा‘‘ और ‘‘दिल्ली चलो‘‘ जैसे नारों से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नई जान फूँकी थी।

Last modified: 2024-06-07 20:00:33