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छत्तीसगढ़ की कृषि अर्थव्यवस्था का अध्ययन 21वीं शताब्दी के परिप्रेक्ष्य में

Journal: International Education and Research Journal (Vol.10, No. 7)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 45-47

Keywords : छत्तीसगढ़ की कृषि अर्थव्यवस्था का अध्ययन 21वीं शताब्दी के परिप्रेक्ष्य में;

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Abstract

कृषि मानव जगत की बड़ी पुरानी परंपरा है, इसकी प्राचीनता उतनी ही है, जितनी मानव सभ्यता प्राचीन काल से ही कृषि आय का प्रमुख स्त्रोत रहा है। मानव जीवन का विकास कृषि पर आधारित रहा है। प्राचीन काल के राजा से आधुनिक काल के ब्रिटिश गवर्नर ने भी उन्हीं क्षेत्र को सर्वप्रथम अपने अधीन किया जो कृषि की दृष्टि से उन्नत थी। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था रही है। प्राचीन काल से यहां के लोगों के आर्थिक आजीविका का साधन कृषि रहा है। अंचल में क्रियाशील जनसंख्या के 80% लोगों की आजीविका कृषि से ही चलती है। छत्तीसगढ़ के लगभग 88.37% क्षेत्रों में खाद्यानों का उत्पादन होता है, जिनमें चावल, गेहंू, मक्का, गन्ना, सोयाबीन, दालें, ज्वार, बाजरा, कोदो आदि है। छत्तीसगढ़ के किसान भाई जहां पहले अपने खेत से अपना पेट भी मुश्किल से भर पाते थे, वहां आज वह दूसरों को अपनी पैदावार बेच लाभ कमा रहे हैं और गरीबी के दलदल से निकाल कर खुशहाली की ओर बढ़ रहे हैं। कृषि की अवधारणा या संकल्पना की व्याख्या बड़ी कठिन है क्योंकि यह एक अत्यंत व्यापक शब्द है ”ऐगर“ (Ager) शब्द का अर्थ खेत या मिट्टी है और ”कल्चर“ (Culture) शब्द का अर्थ देखरेख से है, परन्तु कृषि में केवल इतनी ही बातें सम्मिलित नहीं है। इसके अंतर्गत खेत की जुताई और फसल की बुवाई के अतिरिक्त फलोत्पादन, वृक्षारोपण आदि सम्मिलित है। भोजन की प्राप्ति इसका मुख्य ध्येय है। इसके साथ ही साथ कच्चे माल का उत्पादन करना भी इसका मुख्य लक्ष्य है।

Last modified: 2024-09-16 21:14:54