ग्रामीण क्षेत्र में महिला नेतृत्व विकास में स्वयं सहायता समूह की भूमिका
Journal: International Education and Research Journal (Vol.10, No. 8)Publication Date: 2024-08-15
Authors : डॉ. विनीता गौतम;
Page : 122-123
Keywords : सामाजिक-आर्थिक; सांस्कृतिक बाधाओं; घरेलू हिंसा; गरीबी उन्मूलन;
Abstract
विश्व की आधी आबादी महिलाओं की है। फिर भी महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक गरीब और वंचित हैं क्योंकि उन्हें सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। समाज में उनकी भूमिका अपरिहार्य है। लेकिन वे अपने मूल अधिकारों से वंचित हैं। घरेलू हिंसा, आर्थिक और शैक्षणिक भेदभाव, प्रजनन स्वास्थ्य असमानताएं और हानिकारक पारंपरिक प्रथाएं समाज में असमानता का सबसे व्यापक और स्थायी रूप बनी हुई हैं। इसलिए उन्हें सशक्त बनाने की आवश्यकता महसूस की जाती है। ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्थिति अधिक गंभीर है। गरीबी उन्मूलन, आर्थिक विकास को बढ़ाने और बेहतर जीवन स्तर के लिए महिला विकास गतिविधियों को महत्व दिया जाना चाहिए। स्वयं सहायता समूह नामक अवधारणा का विकास महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकारों के लिए अंधेरे में आशा की किरण है। इसमें महिलाओं की कई समस्याओं का समाधान करने की क्षमता है, जिनका सामना वे अशक्तता के कारण कर रही हैं और वास्तव में उनके जीवन में काफी बदलाव ला सकती हैं। अध्ययन से पता चलता है कि स्वयं सहायता समूह केवल एक माइक्रो-क्रेडिट नहीं है, यह एक सशक्तिकरण प्रक्रिया है, जो ग्रामीण महिलाओं में नेतृत्व क्षमता को विकसित कर समाजिक और राजनीतिक जीवन में निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी सहभागिता को सुनिष्चत करता है।
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Last modified: 2024-09-16 22:26:54