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जनसंख्या दबाव जनित भ ूमि उपयोग/भ िूम आवरण म ें परिवर्तन (मध्यप्रदेश के संदर्भ म ें)

Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 1-6

Keywords : जनसंख्या दबाव जनित भ ूमि उपयोग;

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Abstract

मानव और प्राक ृतिक संसाधनों में अन्योन्य आश्रित संब ंध है। मानव प्रकृति से प्राप्त ज ैविक-अज ैविक सम्पदा पर ही अपन े ज्ञान एव ं कौशल का उपयोग करके उन्हें बहुमूल्य सेवा एव ं वस्त ुआ ें मे ं परिवर्ति त करता है एव ं आर्थिक विकास को दिशा एव ं गति प्रदान करता ह ै। मानव के बिना प ्रकृति की इस सम्पदा का कोई मूल्य नहीं है। मानव ही विकास का साधन एव ं साध्य दोना ें है। प्रा े. पी.एल. रावत ने कहा ह ै कि, मन ुष्य आर्थि क विकास का आदि एव ं अंत दोनों है किन्त ु जब मानव अपनी बढ ़ती हुई आवश्यकताओं की प ूर्ति के लिए इन प्राकृतिक संपद¨ का अत्यधिक शोषण या दोहन करन े लगता ह ै तो मानव व प्रकृति के बीच संत ुलन बिगड ़न े लगता है आ ैर ज¨ पर्या वरणीय समस्याओं के जन्म का कारण भी बनता है। आज लगभग संप ूर्ण विश्व तीव्र वृद्धि के कारण मानव एव ं प्रक ृति के बिगड ़त े संत ुलन का सामना कर रहा ह ै। हमारा द ेश एव ं राज्य भी इस समस्या से अछूता नहीं है। इस अस ंत ुलन को राज्य म ें जनसंख्या दबाव एव ं भ ूमि उपयोग के स्वरूप में आए परिवर्तन के द्वारा भी स्पष्ट किया जा सकता है ं।

Last modified: 2017-09-25 19:22:13