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पर्यावरण संरक्षण

Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 1-2

Keywords : पर्यावरण संरक्षण;

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Abstract

मानव शरीर प ंच तत्वों- प ्रथ्वी, जल, वाय ु, अग्नि आ ैर आकाश स े ही बना ह ै। य े सभी तत्व पर्या वरण के धोतक है। प ्रकृति मे मानव को अन ेक महत्वप ूर्ण प्राकृतिक सम्पदायें भी ह ै। जिसका उपयोग मन ुष्य अपन े द ैनिक जीवन में करता आया है ज ैसे- नदियाँ, पहाड ़, मैदान, सम ुद ्र, प ेड ़-पौधे, वनस्पति इत्यादि। प्रथ्वी पर प्राकृतिक संसाथनों का दोहन करन े से प्राकृतिक संसाथनो के भण्डार तीव्र गति से घटत े जा रह े है, जिससे पर्यावरण में असन्त ुलन बढ ़ रहा है। उसके परिणाम स्वरूप जल की कमी, आ ेजा ेन परत में छेद का पाया जाना, वना ें की अत्यधिक कर्टाइ से वना ें की कमी आना, सम ुद ्रों का जल स्तर बढना, ग्लेशियरों का पिघलना, र ेगिस्ताना ें का बढना आदि हा े रही ह ै, जिसस े जल, वायु, अन्न, प्रकृति सब प्रदूषण का शिकार हो रहे है। आ ैर समूची मानव आदि के साथ पशु-पक्षी, वन्य-प ्रजाती व प ्रकृति भी प ्रभावित हो रह े ह ै। वनो की अत्यधिक कटाई से प्रथ्वी के मौसम में निरन्तर बदलाव आ रहा है। तापमान में व ृद्धि हो रही ह ै। “नासा क े जेम र्सइ न े 1960 से 1987 तक के तापमान के विश्लेषण से भू-मंडल के औसत तापमान मे ं 0.5 डिग्री सेल्सियस से 0.7 डिग्री सेल्सियस वृद्धि की बात कही है।“(1) वैज्ञानिका े द्वारा बार-बार चेतावनी दी जा रही ह ै एव ं हम आय े दिन भीषण समुद ्री त ूफानो-सुनामी, हायन, उहा ेर, कैटरीना को प ्रत्यक्ष रूप स े द ेख रह े है।आये दिन भूकंपा े का सामना कर रहे है।

Last modified: 2017-09-27 18:44:48