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भारतीय चित्रों में नारी अंकन परंपरा

Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.7, No. 11)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 301-305

Keywords : भारतीय; परंपरा; नारी;

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Abstract

हमारे प्राचीन भारतीय धार्मिक ग्रंथों में समस्त कलाओं में चित्रकला को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यह धर्म, अर्थ, काम और मौक्ष को देने वाली है यथा कलानां प्रवरं चित्रं धर्मकामार्थमोक्षदम्‌। मंगल्य प्रथमं ह्येतद्‌ ग्रहे यत्र प्रतिष्ठितम्‌॥ जिस प्रकार पर्वतों में सुमेरू, अण्डज प्राणियों में गरुड, मनुष्यों में राजा एवं कलाओं में चित्रकला सर्वोत्तम है। यथा सुमेरु प्रवरो नागानां यथाण्डजानां गरुडः प्रधानः। यथा जनानां प्रवरः क्षितीशस्तथा कलानामिहचित्रकल्पः॥1 समरांगण सूत्रधार के अनुसार 'चित्रं हि सर्व शिल्पानां मुखं लोकस्य च प्रियम्‌' अर्थात्‌ सभी शिल्पों में चित्रकला प्रमुख है। कामसूत्र में एक शेष चित्र के लिए छह अंगों की चर्चा है। रूपभेदाः प्रमाणानि भाव-लावण्य योजनम्‌। सादृश्यं वर्णिका भंग इति चित्र षडंगकम्‌॥2

Last modified: 2020-01-09 17:03:34