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मुल्क की जीवंतता की शाइरीः फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.3, No. 11)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 25-30

Keywords : मुहब्बत; परम्परा; आधुनिकता; इश्क-ए-वतन; इनसानियत; इंसान; मुल्क जीवंतता़;

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Abstract

प्रस्तुत आलेख फैज़ अहमद फैज़ की शाइरी की संवेदना पर आधारित है। इसमें उनकी शाइरी में अनुगुंजित आवाम की धड़कन को समझने का प्रयास किया गया है।यह भी देखा जा सकता है कि उनके नज्म कभी सत्ता का पक्ष नहीं लेती है। इस आलेख में शायरी की जगह शाइरी का प्रयोग किया गया है।

Last modified: 2021-06-23 21:36:40