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INTERPRETING THE PROFOUND PORTRAYAL OF NATURE IN THE WORKS OF ARTIST VIBHA GALHOTRA विभा गल्होत्रा की कलाकृतियों में प्रकृति के प्रति प्रेम

Journal: SHODHKOSH: JOURNAL OF VISUAL AND PERFORMING ARTS (Vol.3, No. 1)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 275-291

Keywords : Nature; Vibha Galhotra; Anthropocene; Neo-Mediumism; Global Heat Crisis;

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Abstract

प्रकृति हमेशा से कलाकारों के लिए प्रेरणा का आकर्षक स्रोत रही है। ऐसे कई कलाकारों की कृतियों में असंख्य प्रमाण मिलते हैं जो त्रासदियों और उन मुद्दों केे विषय में जागरूक हैं जिनका सामना सम्पूर्ण संसार वैश्विक ताप संकट एवं मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण कर रहा है। शोध पत्र मुख्य रूप से विश्व भर में तीन मुख्य समस्याओं एंथ्रोपोसीन की अवधारणा, अव्यवस्थित नगर नियोजन और भारतीय नदियों की दयनीय स्थिति को सामने लाने में दिल्ली की कलाकार विभा गल्होत्रा के योगदान का विवरणात्मक अध्ययन है। कलाकार ने विभिन्न सामग्रियों के उपयोग द्वारा प्रकृति के शोषण को प्रमुख रूप केन्द्रित किया है जिसे अब नव-माध्यमवाद कहा जाता है। यह नव-माध्यमवादी या नव-सामग्रीवादी दृष्टिकोण विशेषतः समकालीन कला में उपयोग किया जाता है और कलाकार विभा गल्होत्रा ने भी अपने कार्यों में इसी विचारधारा को रेखांकित किया है जो पूर्ण रूप से प्रकृति से प्रेरित है। उनकी कृतियों को विभिन्न प्रकार की सामग्रियों, विशेष रूप से घुंघरू के साथ केंद्रीकृत किया गया है और इन रंगीन घुंघरूओं का उपयोग करके बड़े पैमाने पर टेपेस्ट्री का निर्माण किया है। विभा की कलाकृतियों के द्वारा हम ये समझने का प्रयत्न करेंगे कि प्रदूषण, वैश्विक ताप संकट और पराली जलाने जैसे मुद्दों को हल करने में दृश्य कला कैसे योगदान दे रही है। इस प्रकार, प्रस्तुत शोध पत्र पर्यावरण और कला के बीच संबंध को दृढ़ता से निर्धारित करता है साथ-ही साथ यह भी इंगित करता है कि कैसे कलाकार अपने कार्यों के माध्यम से समाज में परिवर्तन और जागरूकता लाने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर रहा है।

Last modified: 2022-07-05 18:29:20