अहीरवाल के लोकगीतकार
Journal: Swadeshi International Research Journal of Hindi Literature (Vol.1, No. 2)Publication Date: 2013-09-15
Authors : डॉ. शर्मिला यादव;
Page : 12-19
Keywords : भावनुकूलता; प्रवाहमयता; विधवा-विवाह; समाज सुधार;
Abstract
‘अहीरवाल' अंचल की लोकभाषा ‘अहीरवाटी' कहलाती है। इस बोली में ब्रज का माधुर्य तथा राजस्थानी व हरियाणवी का ओज घुलमिलकर ए्कीकार हो गया है। इस अंचल के लोकगीतों में  बड़ा माधुर्य है जो ब्रज के रसिये, राजस्थानी नहड़े तथा हरियाणवी रागनियों के समान श्रोता के चित्त में असीम आनंद उत्पन्न करते हैं। अहीरवाल की राग-रागनियाँ रस से भरी पिचकारियाँ हैं, जिसके छूटते ही श्रोता सराबोर हो जाता है।
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Last modified: 2025-04-12 23:57:15
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