पर्यावरण प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर बढ़ता दुष्प्रभाव: एक अध्ययन
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)Publication Date: 2015-09-29
Authors : वीणा अत्र े;
Page : 1-3
Keywords : पर्यावरण प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर बढ़ता दुष्प्रभाव: एक अध्ययन;
Abstract
पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य का अत्यंत घनिष्ठ सम्बन्ध है। आज औद्योगीकरण के दौर मे ं पर्यावरण ही द ूषित है तो स्वच्छ भोजन पानी एव ं वायु की कल्पना क ैसे ही जा सकती है। इसके फलस्वरूप मन ुष्य में अन ेक रोगा े ं का जन्म होता है। पर्यावरण क े म ुख्य तत्व भूमि, जल, वायु, वनस्पति एवं प्राणी सम ूह है। जल एव ं स्वास्थ्य: कल कारखाना ें का द ूषित जल नदी नालों म ें मिलकर अत्यधिक जल प्रद ूषित करता ह ै। प्रद ूषित जल पीन े से त्वचा रा ेग, पोलियो, पीलिया, टाईफाईड, बुखार, प ेचिस, अतिसार, कृमि ल ेप्टा ेस्पाईस, कंेसर, द ंतक्षय, फ्लूओरोसिस, गर्भपात, मंद विकास जैसी बीमारियों का े जन्म द ेत े हैं। प ेयजल में क्लोराइड की अधिक मात्रा के सेवन से व्यक्ति के दाँतों में काल े धब्ब े पड ़ जात े है' रीढ ़ की हड्डी तथा जोड ़ा ें की हड्डी जकड ़ जाती है। भारत मे ं प्रद ूषित जल में स्नान करन े से त्वचा रोगियों की संख्या बढ ़ रही है। वायु प ्रद ूषण:हवा में अवांछित गैसों की उपस्थिति से वायु प ्रद ूषण होता है। कल कारखाना ें और मोटर वाहना ें से निकलन े वाले धुएँ के कारण साँस लेन े में कठिनाई होती ह ै। वाय ु में यदि हाइड ªोकार्बन की मात्रा बढ ़ती ह ै तो द ृष्ट शक्ति में कमी, सल्फरडाई आक्साइड की मात्रा बढ ़ती ह ै तो दमा जैसे रोग, कार्बनमोनो आक्साइड प्रद ूषक से रक्त में आॅक्सीजन की कमी के कारण केन्द ्रीय स्नायुत ंत्र प ्रभावित होता ह ै
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Last modified: 2017-09-25 18:34:30