ऊर्जा समस्या एवं पर्या वरण
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)Publication Date: 2015-09-29
Authors : स ुनीता पाठक;
Page : 1-3
Keywords : ऊर्जा समस्या एवं पर्या वरण;
Abstract
आर्थिक विकास के दृ्रष्टिकोण स े ऊर्जा एक अत्यन्त महत्वप ूर्ण अवस्थापना/इन्फ ्रास्ट ªक्चर/ है। प ्रकृति क े पारिस्थितिक संत ुलन में ऊर्जा की मुख्य भूमिका रहती है, जो प्राकृतिक परिवेश के जैविक तथा अज ैविक घटकों के मध्य अन्तःक्रिया बनाए रखती ह ै। मन ुष्य विकास को मात्र आर्थि क एव ं भौतिक विकास मानकर लक्ष्य की प्रतिप ूर्ति के लिए तीव्र गति वाली तकनीक का आविष्कार कर प्राकृतिक संसाधनो के अंधाध्ंाुध विदोहन म े जुट जाता है। यहीं उसस े त्रुटि हो जाती है आ ैर वह विकास के स्षान पर पर्यावरण का विनाश करन े लगता है, जिससे अन ेक सामाजिक समस्याओं को जन्म होता है, जिसमें स े एक ह ै ऊर्जा संकट । उत्पादन की आघुनिक तकनिक के साष मानव इतिहास का आधुनिक युग श ुरू हुआ एव ं ऊर्जा की मांॅ ग बढ ़ती चली गई, जितनी ऊर्जा का उपयोग विगत तीन या चार हजार वर्षो में मानव सम ुदाय नहीं कर पाया था, उससे र्कइ गुना आध्ुनिक समाज न े केवल 100 वर्षो में किया है जिससे सीमित भंडार वाल े स्त्रोतों पर दबाव बढ ़ता चला जा रहा है जो ऊर्जा संकट का मुख्य कारण है । ऊर्जा के गैर परम्परागत स्त्रोता ें पर समय पर घ्यान नही ं द ेन े के कारण यह आ ैर बढ ़ता जा रहा है अतः हम ें शीध ्र ही गैर परम्परागत स्त्रोत जैस े सौर ऊर्जा , पवन ऊर्जा आदि पर विशेष घ्यान द ेना होगा ।
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Last modified: 2017-09-25 19:35:03