बारेला जनजाति की लोक कलाएँ
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.7, No. 11)Publication Date: 2019-11-30
Authors : डॉ. आनन्दसिंह पटेल;
Page : 165-171
Keywords : बारेला; जनजाति; लोक कलाएँ;
Abstract
कला मानव की बौद्धिक प्रतिभा और शारीरिक क्षमताओं के समन्वय की अद्भूत प्रस्तुति है। कला के विकास में मानव की शारीरिक क्षमताओं ने उसकी अत्यधिक सहायता की है। कला रुपायन के लिए न केवल कल्पनाशील मस्तिष्क की आवश्यकता होती है बल्कि रूपायन के लिए तीक्ष्ण और केन्द्रीयता का अपना महत्त्व है। बारेला जनजाति की प्रत्येक वस्तु में कला के आयाम उपस्थित होते हैं। जीवन के व्यवहार में आने वाले पदार्थ को सौन्दर्य की दृष्टि से देखना उनकी जीवन शैली बन गई हैं। प्रकृति के सांनिध्य में इन लोगों ने प्रकृति के समस्त उपादानों का भरपूर आस्वाद किया है।2 बारेला लोककलाओं की सबसे बड़ी विशेषता है। वहाँ सर्व सुलभ साधनों के न होने के बावजूद भी अपनी विविध लोककलाओं को पारम्परिक रूप से अचंल में आधुनिकता कैनवास, ब्रश इत्यादि के बजाय सरल, सादे एवं प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों को अपनी कलाकारी का माध्यम बनाते हैं। बारेला जनजाति में अनेक रूपों से प्राकृतिक वस्तुओं से अनेक सुन्दर काष्ठ कला, चित्रकला, मूर्तिकला, मिट्टी के बर्तनों पर विविध कलाकृति, चित्रों का सृजन करते हैं।
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Last modified: 2020-01-08 16:33:17