भारतीय धर्म और संस्कृति में कला का अन्तःसम्बन्ध
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.7, No. 11)Publication Date: 2019-11-30
Authors : डॉ इन्दु जोशी; जितेन्द्र कुमार चौधरी;
Page : 265-267
Keywords : भारतीय धर्म; अन्तःसम्बन्ध; संस्कृति;
Abstract
भारतीय इतिहास कलात्मक, सौन्दर्यता, दार्शनिकता, आध्यात्मिकता, धर्मपरकता, पुरातनता व संस्कृति के मौलिक सूत्रों में घिरी एक मुक्ता-माला के समान है। इनमें कला का विकसित व आदर्श स्वरूप है और यह कला, किसी भी समय व स्थान पर, जब किसी सभ्यता का अभ्युदय एवं विकास हुआ है तो सभ्यता के मूल तत्वों को सुदृढ़ किया है। जिसमें धर्म, संस्कृति और कला का आपस में परस्पर सम्बन्ध स्थापित करता है। कला, मनुष्य को संवेदनशील व विवेकशील, संस्कृति से सभ्य, धर्म से आस्थावान बनाती है। यह विभिन्न स्वरूप मनुष्य को ऊर्जावान और जुझारूपन बनाते है। जिससे समस्याओं का मुकाबला करने का सहज स्वाभिमान को जागृत करते है। जिससे विश्व में मानवता का प्रसार हो।
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Last modified: 2020-07-18 20:52:06