आर्थिक आरक्षण उबलती ज़मीन उभरते सवाल
Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.4, No. 6)Publication Date: 2021-06-17
Authors : शाम लाल;
Page : 15-19
Keywords : आरक्षण; जाति; वर्ग; पिछड़ापन; दलित; सवर्ण; सरंचनात्मकअसमानता; पिछडी तथा अगड़ी जाति।;
Abstract
आरक्षण भारतीय समाज में अत्यंत विवादास्पद तथा ज्वलंत विषय रहा हैं। सत्तर वर्षो के इतिहास में इसे कभी हीन भावना से देखा गया तो कभी निसंदेह स्वीकार किया गया। ऐसा इसलिए क्योंकि अपनी जीवनयात्रा में इतना समर्थन शायद ही इसे कभी मिल पाया हो जितना आर्थिक आधारित होने के पश्चात मिला। हालांकि उच्च जाति के लिए आरक्षण गरीब पिछड़े के हितों में नहीं हैं।फिर भी इसने प्रधानमंत्री के लिए उच्च जाति के समर्थन को और अधिक मजबूत किया हैं।अब इसे शासक वर्ग द्वारा सत्ता प्राप्ति में सहायक तत्व के रूप में देखा जाने लगा हैं। आर्थिक आधारित होने के पश्चात इसका स्वरूप अधिक विजातीय तथा ऊर्ध्वाधर हो गया हैं, जिसमे आरक्षण जाति और समुदाय की परिधि से निकल कर वर्ग में स्थानातरित हुआ है। विजातीय इसलिए क्योंकि अब आरक्षण किसी जाति विशेष से ऊपर उठ कर वर्ग पर भी लागू होगा। इसलिए अब यह समझ पाना थोड़ा पेचीदा हो गया है, कि जो लोग दो दशक पूर्व आरक्षण का विरोध कर रहे थे अब वे आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत स्वयं को किस रूप में देखते होंगे?
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Last modified: 2021-06-19 16:42:21