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अमरकांत के उपन्यासों में: ‘नारी जीवन की समस्या’

Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.4, No. 2)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 16-19

Keywords : पुरुषवाद; रूढ़िवाद; आडंबर; स्वाभिमान; आत्मबोध; कुटिलता; प्रतिवाद; अवसरवादी।;

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Abstract

प्रस्तुत शोध आलेख अमरकांत के उपन्यासों में नारी जीवन कीसमस्या पर प्रस्तावित है।नारी जागरण तथा नारी स्वतंत्रता संबंधी आंदोलनों ने स्त्रियों को अपने अस्तित्व के प्रति जागरूक किया है।अमरकांत के उपन्यासों में शहरी,ग्रामीण, कस्बाई स्त्री पात्र,सदियों से चली आ रही सामाजिक,आर्थिक,मानसिक गुलामी से मुक्ति की छटपटाहट को महसूस किया है, उनका पुरजोर विरोध किया है।गुलाम समझने वाली रूढ़िबद्ध सामाजिक परम्परा को नहीं मानती।वे संघर्ष करती हैं।वह अपने अधिकारों से परिचित है। स्त्री को अपमानित होकर समाज में रहना मंजूर नहीं है।वह व्यवस्था के साथ स्वयं में बदलाव चाहती है।अपने हक की लड़ाई स्वयं लड़नी पड़ेगी।पुरुषवादी समाज में जड़ जमाईदहेज जैसी कुप्रथा कितना मादक एवं सारहीन है।आज भी इसका खामियाजा स्त्रियों को भुगतना पड़ रहा है।

Last modified: 2021-06-21 17:35:59