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भारतीय महिलाओं के उत्थान में सावित्री बाई फुले का योगदान

Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.4, No. 2)

Publication Date:

Authors : ; ;

Page : 74-83

Keywords : पहली महिला शिक्षक; समाज सुधारक; रूढ़ियां; भारतीय समाज; कुरीति; महिला शिक्षा।;

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Abstract

भारत में स्थित महाराष्ट्र राज्य के सतारा जिले में नया गांव नामक स्थान पर 3 जनवरी, 1831 को एक ऐसी महिला का जन्म हुआ था, जिन्हें प्राचीन भारतीय समाज की दबी-कुचली, शोषित व उत्पीड़ित महिलाओं के उत्थान के लिये जाना जाता है। वह थी सावित्री बाई फुले, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन महिलाओं के स्तर को पुरूषों के समकक्ष लाने के लिये लगा दिया था। सावित्री बाई ने जहां एक तरफ महिलाओं को साक्षर बनाने के लिये कार्य किया था, वही दूसरी तरफ एक समाज सुधार के रूप में सदियों से चली आ रही परम्पराओं, रूढ़ियों, प्रथाओं आदि से मुक्त करने के लिये सत्यशोधक समाज की स्थापना की थी। उनका पहला लक्ष्य महिलाओं को साक्षर करने के लिये था, लेकिन स्कूल संचालन के दौरान उनको अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा था। सावित्री बाई इन समस्याओं और संघर्षो को झेलते हुये अपने शिक्षा संबंधी कार्य में सतत रूप से लगी रही थी, इसीलिये उन्हें आधुनिक भारत की पहली महिला शिक्षक कहा जाता हैं। सावित्री बाई न केवल एक शिक्षक थी, बल्कि समाज सुधारक तथा लेखन कार्य के अन्तर्गत एक कवियत्री भी थी। उन्होंने समाज सुधार के अन्तर्गत प्रथाओं व परम्पराओं के कारण शोषित व उत्पीड़ित महिलाओं की स्थिति में सुधार करने का कार्य किया। सावित्री बाई ने अपने जीवन में जो लेखन कार्य किया, वह अनूठा व अन्र्तदृष्टि का पर्याय था, जो सामाजिक आन्दोलन के माध्यम से महिलाओं को अपना जीवन यापन करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।

Last modified: 2021-06-22 00:10:19