समकालीन हिंदी कविताओं में अभिव्यक्त लोक-जीवन
Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.3, No. 12)Publication Date: 2020-12-21
Authors : बृजेश प्रसाद;
Page : 24-28
Keywords : लोक जीवन; लोक चेतना; समकालीन हिंदी कविता और लोक;
Abstract
गाँव-देहात तेजी से ग्लोब होता जा रहा है। बाजार अब गाँव तक पहुँच गया है और यह इतना ज्यादा लुभावना और ग्राम्यजन को आकर्षित कर रहा है कि लगभग नगर से सटे गाँव-देहात अपनी मूल संस्कृतियों, परम्पराओं, गीत-संगीत, रीती-रिवाजों से कटते जा रहे हैं। ऐसे में मुझे लगता है, लोक जीवन को लेकर शोध होने चाहिए। साथ ही ज्यादा से ज्यादा इसका अध्ययन-मनन किया जाना चाहिए। प्रस्तुत आलेख समकालीन हिंदी कवियों की कविताओं में अभिव्यक्त लोक जीवन को समझने में सहायक होगी।
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Last modified: 2021-06-23 17:06:06