ResearchBib Share Your Research, Maximize Your Social Impacts
Sign for Notice Everyday Sign up >> Login

दलित आत्मकथाओं में अभिव्यक्त शिक्षा-व्यवस्था

Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.3, No. 11)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 36-41

Keywords : ब्राह्मणवादी व्यवस्था; अस्पृश्यता; छुआछूत; सामाजिक न्याय; दलित विमर्श; दलित साहित्य;

Source : Downloadexternal Find it from : Google Scholarexternal

Abstract

जूठन, तिरस्कृत, अछूत, अक्करमाशी, दोहरा अभिशाप, मुर्दहिया और मेरा बचपन मेरे कन्धों पर आदि प्रमुख दलित आत्मकथाएं हैं जिनमें शिक्षा व्यवस्था की अभिव्यक्ति हुई है। दलित जीवन की पीड़ा असहनीय है जिसे हिंदी साहित्य में स्थान नहीं मिल सका। ऐसी सामाजिक व्यवस्था क्रूर और अमानवीय है जो दलितों के प्रति असंवेदनशील है। जूठन और मुर्दहिया दोनों आत्मकथाओं में लेखक अपने जीवन अनुभव को प्रस्तुत करते हैं। इस शोध लेख में दलित आत्मकथाओं में अभिव्यक्त ब्राह्मणवादी व्यवस्था का प्रतिरोध, शैक्षिक संस्थानों में अस्पृश्यता और छुआछूत, प्रवेश के दौरान रुढियों और परम्पराओं का प्रभाव, अध्यापकों का भेदभावपूर्ण व्यवहार सामाजिक अपमान और यातनापूर्ण व्यवहार, अध्यापकों के आदर्श रूप की वास्तविकता और दलित परिवारों में शिक्षा को लेकर जागरूकता आदि बिन्दुओं पर विचार किया गया है।

Last modified: 2021-06-24 00:45:31