रागदरबारी में संदर्भगत युगीन परिस्थितियों का यथार्थ–चित्रण
Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.4, No. 7)Publication Date: 2021-07-12
Authors : रमेश चन्द सैनी;
Page : 73-75
Keywords : रागदरबारी; युगीन; परिस्थितिया; मूल्यहीनता; ग्रामीण-जीवन; चित्रण।;
Abstract
‘साहित्य समाज की चेतना में साँस लेता है। यह समाज का वह परिचय है। जो जनता के अस्तित्व के सुख-दुःख, हर्ष-विषाद, आकर्षण विकर्षण के ताने बाने से बुना जाता है। उसमें विशाल मानव जाति की आत्मा का स्पन्दन खनित होता है। साहित्य अस्तित्व की परिभाषा करता है, इसी से उसमें अस्तित्व देन का सामर्थ्य आता है। वह मनुष्य को उसके अस्तित्व को लेकर ही जीवित है इसलिए साहित्य पूर्ण मानव आधारित है। साहित्य उसी मानव की अनुभूतियों, भावनाओं और कलाओं का साक्षात् रूप है। इसलिए साहित्य को समाज का ‘दर्पण'कहा गया है। उसी दर्पण में समाज का सम्पूर्ण 'तबका' नजर आता है। साहित्यकार समाज एवं समाज में घटित ‘घटनाओं से प्रभावित होकर उसका चित्रण करता है। यही चित्रण समकालीन कथा साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल ने ‘रागदरबारी उपन्यास' में बड़ी मार्मिकता से किया है।
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Last modified: 2021-08-06 13:23:24