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ब्रिटिशकालीन हरियाणा में सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलन : एक अध्ययन

Journal: ANSH - JOURNAL OF HISTORY (Vol.3, No. 1)

Publication Date:

Authors : ; ;

Page : 70-75

Keywords : ;

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Abstract

प्रस्तुत शोध पत्र में ब्रिटिश भारत में हुए सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलनों पर प्रकाश डाला गया है। ब्रिटिश शासन काल में पाश्चात्य शिक्षा प्राप्त लोगों ने सामाजिक रचना, धर्म, रीति-रिवाज व परम्पराओं को तर्क की कसौटी पर कसना प्रारम्भ कर दिया। इससे भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आंदोलनों का जन्म हुआ। भारतीय समाज को पुनर्जीवन प्रदान करने का प्रयत्न प्रबुद्ध भारतीय सामाजिक एवं धार्मिक सुधारकों, सुधारवादी, ब्रिटिश गवर्नर जनरलों एवं आधुनिक शिक्षा के प्रसार ने किया। भारत में समाज और धर्म हमेशा एक दूसरे से जुडे रहे हैं और यहाँ की समाजिक परम्पराएं और रुढियां का आधार धार्मिक व्याख्या है। अतः सामजिक परिवर्तन और सुधार के लिए यह आवश्यक था कि धार्मिक मूल्यों और मान्यताओं की तर्कपूर्ण व्याख्या की जाये ताकि उसके आधार पर समाज में वांछित सुधार किया जा सके। यही कारण है कि भारत में समाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन एक साथ ही चले। शोध पत्र में इसके विकास, कारणों और हरियाणा क्षे़त्र में हुए परिवर्तनों का परीक्षण किया गया है।

Last modified: 2021-09-23 13:41:50