सामाजिक संचेतना के संवाहिका मिनीमाता एवं समकालीन महिलाएं
Journal: Praxis International Journal of Social Science and Literature (Vol.5, No. 3)Publication Date: 2022-03-23
Authors : कु. अर्चना बौद्ध;
Page : 33-39
Keywords : छत्तीसगढ़; मिनीमाता; समकालीन महिलाएं; समाज सुधारक; सकारात्मक प्रभाव; वर्तमान पीढ़ी।;
Abstract
मिनीमाता एवं उनके समकालीन समाज सुधारक महिलाओं ने छत्तीसगढ़ के सामाजिक उत्थान के लिए आजीवन संघर्ष किए। सामाजिक कुप्रथाओं का खुलकर विरोध एवं उनमें सुधार करने के लिए अपना तन- मन-धन समर्पित कर दिए। स्वतंत्रता के पूर्व राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान मद्य निषेध, छुआछूत समाप्त करने, बाल विवाह समाप्त करने, विधवा पुनर्विवाह, वेश्यावृति समाप्त करने का प्रमुख कार्य किया गया। स्वतंत्रता पश्चात भी यही कार्य प्राथमिकता में रहा उसके साथ ही दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा, टोनही प्रताड़ना, सामंती व्यवस्थाओं में महिलाओं के शोषण दूर करने जैसी कार्य करने का बीड़ा महिला समाज सुधारकों ने उठाया। जिसके लिए रूढ़ीवादी समाज ने उन्हें ताना, उलाहना देने एवं अपमानित करने का कोई कसर नहीं छोड़ा। उनके कार्यों से समाज में सकारात्मक प्रभाव पड़ा, जिसे वर्तमान पीढ़ियों द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनके क्रियाकलापों से समाज एवं विशेषकर नारी समाज प्रेरित होते रहेंगे एवं उनका अनुसरण करते रहेंगे।
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Last modified: 2022-04-08 01:51:53