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भारत: धर्मनिरपेक्षता का एक अनुकरणीय प्रतीक

Journal: International Education and Research Journal (Vol.9, No. 6)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 08-09

Keywords : धार्मिक मुद्दे; अल्पसंख्यवाद; बहुसंख्यकवाद;

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Abstract

भारत का संविधान विश्व में एक मात्र लिखित संविधान जो अपनी कठोरता व लचिलेपन के लिए ख्यात है। इस संवधिान के प्रत्येक शब्द की अपनी है गरिमा है। उन्ही शब्दो मे से एक शब्द है ‘धर्म निरपेक्षता' अर्थात सभी धर्मो के प्रति निष्पक्ष होना और यही हमारी पहचान भी है परन्तु वर्तमान समय में इस शब्द की गरिमा को अद्योति किया जा रहा है। दकियानुसी मानसिकता के कारण और इसका प्रभाव अल्पसंख्यकवाद और बहुसंख्यकवाद के रूप में देखने को मिल रहा है। इसकी जड़े इतनी गहरी हो गयी है कि एक मुद्दा खत्म करने की कोशिश में दस अन्य मुद्दे उत्पन्न हो जाते है। हमे इन सब से परे होकर धर्मनिरपेक्षता में आधुनिकता की ओर अग्रसर होना चाहिए।

Last modified: 2023-07-21 18:52:10