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हरियाणा के नवगीतों का समाजशास्त्रीय अध्ययन

Journal: Drashta Research Journal (Vol.1, No. 03)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 83-88

Keywords : नवगीत; समाज; परिवर्तन; अस्मिता;

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Abstract

सामाजिक परिवर्तन की भविष्यवाणी नहीं हो सकती, हाँ उसका अनुमान लगाया जा सकता है। पाश्चात्य समाजशास्त्री गोल्डनमान, लूसिए, लावेंथल, रेमंड विलियम्स ने समाजशास्त्र के परिप्रेक्ष्य में साहित्य का अध्ययन भी किया है और साहित्य की मीमांसापरक तथा अनुभववादी व्याख्याएँ की हैं। सामाजिक संरचना पर माक्र्सवाद तथा फ्रायड़ के कामवाद का बहुत प्रभाव पड़ा है। समाजशास्त्र की एक विशिष्ट प्रवृत्ति यह है कि शुद्धतावादी समीक्षक जिस साहित्य को बाजारू, फुटपाथी, फूहड़, अश्लील, सतही, घटिया कहकर नाकभौंह सिकोड़ता है, समाजशास्त्री उसको लोकप्रिय साहित्य के रूप में स्वीकार करता है।

Last modified: 2025-04-12 22:36:33