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सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय के काव्य में वैयक्तिकता और सामाजिकता की समस्या

Journal: Drashta Research Journal (Vol.1, No. 03)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 104-109

Keywords : साहित्य; चिंतन; सहानुभूति; समाज-संगठन; जीवन-संग्राम;

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Abstract

अज्ञेय का व्यक्तित्व कवि एवं साहित्यकार का होते हुए भी इतनी विविधताओं से परिपूर्ण है कि उन सबको किसी एक व्यक्तित्व में परिकल्पित करना सम्भव नहीं प्रतीत होता। अज्ञेय के संवेदनशील व्यक्तित्व का निर्माण जिन अनुभूतियों के धागों से हो रहा था उनके साथ उनका अध्ययन एवं चिंतन भी उनकी रचनात्मक क्षमता को निखार रहे थे। प्रारम्भ से ही उनके मन में यह धारणा गहरे बैठी हुई थी कि अपनी व्यक्तिगत अनुभूतियों से मुक्त होकर ही उत्कृष्ट रचना की जा सकती है।

Last modified: 2025-04-12 22:43:29