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राग रागिनी और पर्यावरण का परस्पर सम्बन्ध

Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 1-4

Keywords : राग रागिनी और पर्यावरण का परस्पर सम्बन्ध;

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Abstract

मन आ ैर उससे जुड ़ा मस्तिष्क जिस प्रकार हमार े भौगोलिक पर्यावरण को द ेखकर उस पर आसक्त होता ह ै और शरीर को अच्छे स्वच्छ पर्या वरण का साथ मानव मन को सुख शान्ति की ओर ले जाता है। भारतीय संगीत में विभिन्न राग-रागनिया ें का ध्यान पर्या वरण के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है। ए ेसा सर्वविदित है कि एक अच्छा सा ेच, अच्छ े विचार, अच्छा स ंगीत आदि सभी अच्छे पर्या वरण का निर्मा ण करत े हैं। नदी का बहना, वायु का प ्रवाहमान होना, व ृक्षों की सांय-सांय सभी एक स ुखद संगीत ध्वनि का निर्माण करत े हैं जा े अला ैकिक है, सार्वभा ैमिक ह ै। परन्त ु हमारे सामव ेद में ऊँ का उच्चारण, मंत्रा ें का उच्चारण उद ्दात, अन ुद ्दात, स्वरित के साथ उसकी ध्वनि का वाय ुमण्डल पर असर मानव मन आ ैर मस्तिष्क पर भा ैगोलिक पर्यावरण के साथ मानसिक पर्यावरण को तरा ेताजा कर स्फूर्ति और चेतना प ्रदान करता है। अतः पर्या वरण के संरक्षण हेत ु यदि जैविकी, वानस्पतिकीय व व ैज्ञानिक प ्रयासों के साथ-साथ भारतीय संगीत की समस्त राग-रागिनियों का भी प ्रयोग किया जाएगा तो वह उत्तम आ ैर सम्पूर्ण साधन होगा। आज क े इस वर्त मान य ुग में पर्यावरण सर ंक्षण महत्वर्प ू ण मुद ्दा है व इस पर बहस होना इसके उपाया ें का े खोजना और उनको प्रतिपादित करना विष्व के कल्याण के पथ पर अग्रसर होना है।

Last modified: 2017-09-25 19:40:55