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प्राक ृतिक संसाधनों क े संरक्षण म ें समाज की भ ूमिका पर्यावरणीय चेतना और सामाजिक, औषधीय मूल्य

Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 1-3

Keywords : औषधीय मूल्य;

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Abstract

वश्व प्रकृति निधि भारत का हमेशा ही यह उद ्द ेश्य रहा है कि हम प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण क े साथ दीर्घकालिक तथा न्याय संगत विकास करन े में सहभागी बन ें।1 जब तक हमार े पर्यावरण में बाह्य पदार्थ आकर मिलत े ह ैं संद ृषण होता ह ै। प ्रारम्भ में यह अल्प मात्रा में हा ेता है, जिससे एक स्तर तक मन ुष्य को कोई हानि नहीं पहुँचती तब तक यह संद ूषण की श्रेणी मे ं, ल ेकिन जैस े ही इस सीमा का उल्ल ंघन होता है तो यह द ूषण संद ूषण न रहकर प ्रद ूषण बन जाता है। हिन्द ू धर्म ग्रन्थ ‘‘वाराह पुराण'' में लिखा है कि वृक्षो ं के उपकार पाँच महायज्ञ है ं। व े ग्रहस्थों को ईंधन पथिका ें को छाया तथा विश्राम, पक्षिया ें को घो ंसले तथा पत्ते, जड ़ एव ं छालों से सार े जीवो ं को आ ैषधि द ेकर उनका उपचार करत े हैं।2 जितना महत्व अन्य प्रकार क े प्रद ूषण का े दिया गया है, उतना महत्व अभी तक घर के अंदर स ूक्ष्म प्रद ूषण का े नहीं दिया गया है और यही कारण ह ै, हम अनजान े म ें ही इसके चप ेट में आ जात े हैं। आधुनिक भा ैतिक संसाधनों की भरमार हो गयी ह ै। र ेफ्रिजर ेटर, टी.वी., स्टीरियो, रोस्टर, ओवन, प्रेस, कूलर, मिक्सर, ग ्राइण्डर, वाशिंग मशीन, ह ेयर ड ªायर, सोड ़ा मेकर, कुकिंग र ेंज, गैस सिलेण्डर, स्प्रे, हीटर, पर्सनल कम्प्य ूटर और एयर कण्डिशनर में से ज्यादातर जो सामान पाया जाता हैं प ्रद ूषण अद ृश्य हा ेकर समय के साथ-साथ सांदि ्रत होता जाता है, जो हमें प ्रद ूषण का शिकार बनाकर अन ेक रोगों को जन्म द ेता है।

Last modified: 2017-09-27 18:55:48