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पर्यावरण संरक्षण सब का दायित्व

Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.3, No. 9)

Publication Date:

Authors : ;

Page : 1-2

Keywords : पर्यावरण संरक्षण सब का दायित्व;

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Abstract

सृष्टि के प्रारम्भ से वर्त मान युग तक मन ुष्य न े विकास की लम्बी यात्रा तय की है। किन्त ु इस यात्रा में वह जीवन के शाश्वत सत्य को पीछ े छोड ़कर अकेला आगे निकल आया है जिसके परिणाम में पर्यावरण की प्रलयंकारी समस्याओं न े जन्म ले लिया ह ै आ ैर विश्व समुदाय विगत र्कइ दशकों से इनसे जूझता हुआ आग े बढ ़न े का प्रयास कर रहा है। 1972 में इसकी गम्भीरता को द ेखत े हुए स्टाॅकहोम मे ं संयुक्त राष्ट ª सम्म ेलन आयोजित किया गया जिसमें श्रीमती इन्दिरा गांधी न े पर्यावरण संरक्षण एव ं मानव जाति के कल्याण हेत ु दिय े गये अपन े वक्तव्य म ें कहा कि, ''मन ुष्य तब तक सभ्य एव ं सच्चा मानव नहीं हो सकता जब तक कि वह सम्पूर्ण मानव सभ्यता एवम् सम्पूर्ण स ृष्टि का े मित्रभाव से न द ेखे। अपन े वक्तव्य में पर्यावरण संरक्षण ह ेत ु व ैदिक परम्परा एवम् भारतीय जीवन पद्धति की श्रेष्ठता को र ेखांकित किया। इसके पश्चात ् 1992 से पृथ्वी सम्मेलनो ं का आयोजन पर्यावरणीय समस्याओं के निवारण ह ेत ु प्रारम्भ किया गया। प्रम ुख पर्यावरणीय समस्याएँ ज ैव विविधता का नष्ट होना, ग्लोबल वार्मि ंग, ग्लेशियर पिघलना, सम ुद ्री सतह का बढ ़ना, तीव्र जलवायु परिवर्त न, ओजा ेन लेयर समस्या, जल, वाय ु, ध्वनि, मृदा, प्रद ूषण,वनों का क्षरण, अम्लीय वर्षा, एव ं अवशिष्ट पदार्थो का प ्रब ंधन मानव स्वास्थ्य आदि हैं। जिनके निवारण हेत ु इस बात पर बल दिया जाना आवश्यक है कि विकास के लिये पर्या वरण मित्र तकनीकों को अपनाया जाये तथा (सस्ट ेन ेबल ड ेव्हलपम ेंट) सुनिश्चित किया जाये। इसमें विश्व के प्रसिद्ध एवम् विशिष्ट व्यक्ति जन-जागरूकता फैलान े म ें सहयोग द े सकत े ह ैं।

Last modified: 2017-09-27 18:52:04