कलाभिव्यक्ति द्वारा मानसिक स्वास्थ्य एवं आनन्द प्राप्ति
Journal: INTERNATIONAL JOURNAL OF RESEARCH -GRANTHAALAYAH (Vol.7, No. 11)Publication Date: 2019-11-30
Authors : डॉ श्रीमती बिन्दु अवस्थी;
Page : 196-199
Keywords : कलाभिव्यक्ति; मानसिक; आनन्द;
Abstract
यूरोप में कला हेतु आर्ट शब्द प्रचलित है जो लैटिन भाषा के आर्स (Ars) से बना है। इस ग्रीक रूपान्तर का प्राचीन अर्थ में साधारण शिल्प अथवा नैपुण्य विशेष है।1
उपरोक्त मतों को जानकर यह समझा जा सकता है कि कलात्मक कार्यों का सम्बन्ध व्यक्ति को सुख प्रदान करने वाले कार्यों से है। कला सत् + चित् + आनन्द का योग है। 'वात्सयायन' के 'कामसूत्र' में कला को धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्षदायिनी माना गया है। अभिनव गुप्त ने 'कलागीतवाद्यादिका' लिखा है। संभवतः 'अभिनव गुप्त' के सामने 'वात्स्यायन' की कला सूची रही होगी जिसका आरम्भ गीत एवं वाद्य से होता है।2 'जयदेव' ने काव्य नाटक और कलाओं को एक ही श्रेणी में रखकर सबको इस निष्पत्ति का साधन माना है।3 अर्थात् हम यह कह सकते हैं कि ललित कलाओं के सृजन से अन्तर्मन को आनन्द मिलता है।
Other Latest Articles
Last modified: 2020-01-08 16:49:38
 Share Your Research, Maximize Your Social Impacts
                    Share Your Research, Maximize Your Social Impacts
                

